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स्टार्ट-अप की ऑडिएंस तक पहुंच बनाने के लिए ऑनलाइन मौजूदगी पहली प्रॉयरिटी होती है। इसके लिए आपके पास डोमेन नेम और कंपनी का अट्रैक्टिव वेब एड्रेस होना जरूरी है.....
सैन फ्रांसिस्को बेस्ड पाइपवाइज के फाउंडर और सीईओ माइकल बुल्फ कि मानें, तो दूनिया की ज्यादातर बेस्ट कंपनीज उन लोगों द्वारा शुरू नहीं की गई हैं, जो एंटरप्रेन्योर बनना चाहते हैं। इन कंपनीज को ऐसे लोगों ने शुरू किया है, जिन्हें किसी टेक कॉन्फ्रेंस में भी नहीं जाते, न ही किसी लॉन्च पार्टी में, बल्कि अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से सोसायटी को बेस्ट देने की कोशिश करते हैं। आइआइटी बॉम्बे के ग्रेजुएट दीपांश मलिक का भी कोई बिजनेस बैकग्राउंड नहीं था। था तो सिर्फ अपना कुछ करने का क्रेज और पैशन। इसकलिए आइआइटी से निकलने के बाद पहले अलग-अलग कंपनीज में करीब 11 साल काम किया। जैसे ही खुद को फाइनेंशियली स्टेबल किया, जुट गए अपने सपने को साकार करने में। इस तरह छह महीने से एक साल की तैयारी के बाद साल 2011 में उन्होंने टेकफेरीनाम से स्टार्ट-अप लॉन्च कर दिया। यह एक सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है, जो यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, बिग डाटा एनालिटिक्स, क्लाउड बेस्ड एप्लीकेशन तैयार करती है।
बनना होगा ऑलराउंडर
टेकफेरी के फाउंडर और सीइओ दीपांश बताते हैं कि इंडिया में टैलेंट की कमी नहीं है। अगर हम कहीं पीछे हैं, तो वह है टेक्नोलॉजी। यही वजह हे कि स्टार्ट-अप लॉन्च करने से पहले अधिकतर लोग काफी असमंजस में रहते हैं, जबकि एंटरप्रेन्योरशिप में आने के लिए सिर्फ किसी एक फ्रेट को ही नहीं, बल्कि तमाम दूसरे पहलुओं को भी ध्यान में रखना होता है।
टेक्नोलॉजी के अलावा एंटरप्रेन्यार को सेल्स, मार्केटिंग, फाइनेंशियल स्टेटस, डिलीवरी सिस्टम सभी को मैनेज करना पड़ता है। टेक बैकग्राउंड से होने के बावजूद मुझे भी इन फ्रंट्स पर संघर्ष करना पड़ा। वेबसाइट तो डेवलप कर ली, लेकिन पहला क्लाइंट मिलने में तीन महीने का समय लगा।
डोमेन नेम की रजिस्ट्री
एक दौर था जब इंटरनेट का कनेक्शन लेने के लिए केवल कंपनीज की जरूरत पढ़ती थी। लेकिन क्लाउड बेस्ट एप्लीकेशन के आने से यह अब बेहद आसान हो चुकाा है। आपको वेबसाइट के लिए अपना कोई यूआरएल या डोमेन नेम तय करना होता है। फिर कुछ कीमत अदा कर इस डोमेन नेम को गो डैडी, याहू डॉट कॉम जैसी साइट्स पर रजिस्टर कराना होता है। नाम फाइनल होने में 10 दिन या उससे ज्यादा का समय लग सकता है, क्योंकि यहां डोमेन नेम को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है।
वेबसाइट डेवलप कर बढ़ें आगे
नए उंटरप्रोन्योर्स किसी डेवलपर की मदद से वेबसाइट डेवलप कर सकते हैं। वे चाहें तो, स्कैवायरस्पेस जैसी वेब होस्टिंग साइट्स को होस्ट करेंगे, यानी अपने सर्वर पर आपकी साइट की जानकारी को स्टोर करेंगे और काम शुरु करने के लिए आसानी से यूज होने वाले टेम्प्लेट्स और दूल्स प्रोवाइड कराएंगे।
ज्यादातर वेबसाइट बिल्डिंग या होस्टिंग प्रोवाइडर्स प्रत्येक डोमेन के साथ एक से अधिक ई-मेल एड्रेस और वेब पेज भी ऑफर करते हैं। इसके विकल्प में गूगल के जी-मेल या माइक्रोसॉफ्ट की आउटलुक सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं। जो टेक्नोलॉजी या इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं, वे खुद ही यह काम कर सकते हैं। इसी तरह स्प्रेडशीट्स की जगह क्लाउड बेस्ड ऑपरेशन बेहतर रहता है। छोटे बिजनेस के लिए इन दिनों कई एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर दूल्स भी आ गए हैं।
हर प्रॉब्लम का है सॉल्यूशन
किसी भी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन दिमाग से निकलता है। इंडिया में जो टैलेंट पूल है, उसमें से उपयूक्त कैंडिडेट को सलेक्ट करना होगा। शुरूआत में किसी वेब डेवलपर या डिजाइनर की मदद से अपनी वेबसाइट क्रिएट कर सकते हैं। इसी तरह ई-रिटेल बिजनेस में प्रोडट्स की इमेजेज को अपलोड कर और पेटीए जैसे ऑनलाइन पेमेंट वेंडर्स से इंटीग्रेट कर, काम शूरू किया जा सकता है। लेकिन अगर टेक बेस्ड स्टार्ट-अप करने का इरादा है, तो बाकायदा सॉफ्टवेयर डेवलपर की सेवा लेना सही रहेगा। आज मार्केट में कई सर्विस प्रोवाइडर्स मौजूद हैं, जो नए एंटरप्रेन्योर्स को सेट-अप तैयार करने में मदद करते हैं। वहीं, इन दिनों वेब पोर्टल्स पर जैसे-जैसे कस्टमर्स के हिट्स बढ़ रहे हैं, खरीदारी के साथ ट्रांजैंक्शन बढ़ रहा है। वैसे में कंपनीज को भी ऐसे टेक्नोलॉजिस्टस कि सर्विस की दरकार होती है, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पूरे फंशन और ऑपरेशन को हैंडल कर सकें।
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