हाल तक युवा परंपरागत कोर्स के आधार पर करियर का चुनाव करते रहे हैं। समय के साथ इन परंपरागत कोर्स में कई तरह के प्रोफेशनल कोर्स भी जुड गए। अब इंटिग्रेटिड कोर्स भी उपलब्ध हैं, जिनमें दाखिला लेना फायेदेमंद हो सकता है। बता रहे हैं करियर काउंसलर अशोक सिंह
इन दिनों सामान्य कोर्स नौकरी दिलाने के लिहाजे से विशेष कोर्स के मुकाबले कारगर नहीं समझे जाते । काफी हद तक यह बात सही भी है, जिसे परंपरागत कोर्स की डिग्री लेकर बेरोजगार बैठे लोगों की बड़ी तादाद को देखकर समझा जा सकता है। संभवत: इसी कारण कई विषयों के मेल से विकसित बायोकैमिस्ट्री, बायोफिजिक्स और बायो इन्फोर्मेटिस जैसे अनेक नए विषयों पर आधारित कोर्स सामने आए। कुछ समय तक ये खासे लोकप्रिय भी रहे। इसके बाद इंटिग्रेटेड कोर्स उभरकर सामने आए। इनका फायदा यह है कि 10+2 के बाद सीधे मास्टर्स डिग्री के कोर्स में दाखिला लेना और 6 वर्षीय कोर्स के स्थान पर 5 वर्ष में इंटिग्रेटेड कोर्स कर पाना युवाओं के लिए संभव हो गया।
क्या है इंटिग्रेटेड कोर्स
इंटिग्रेटेड कोर्स के तहत 10+2 के बाद सीधे 5 या 6 वर्षिय स्नातकोत्तर कोर्स में दाखिले की सुविधा है। उदाहरण के लिए, अगर बीए एलएलबी (ऑनर्स) कोर्स की बात करें तो यह कोर्स 5 वर्ष की अवधि में पूरा हो जाता है। अगर परंपरागत तरके से किया जाए तो इसमें 6 वर्ष का समय लग सकता है। दूसरे शब्दों में, पहले 3 वर्षीय स्नातक की डिग्री और उसके बाद 3 वर्षीय एलएलबी। इसी तरह आईआईएसएसटी द्वारा संचालित इंटिग्रेटेड एमएससी (एप्लाइड साइंसेज) कोर्स का भी उदाहरण दिया जा सकता है। यहां यह बताना जरूरी है कि एआईसीटीई (ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन) ने विभिन्न संस्थानों द्वारा संचालित एमबीए आधारित इंटिग्रेटेड कोर्स पर रोक लगा दी थी। ( वर्ष 2016-2017) हालांकि आईआईएम, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, आईआईटी, मद्रास और कई संस्थान, जो एआईसीटीई के तहत नहीं आते हैं, वहां ये कोर्स अब भी जारी है। इसलिए कहीं भी दाखिला लेने से पहले यह जांच कर लेना आवश्यक है कि कोर्स वेध है अथवा नहीं।
जब चुनाव करना हो कोर्स
जब भी आप किसी कोर्स को चुनने का मन बनाएं तो उससे जुड़ी सभी बातों को ठीक से समझ लें। जैसे उसकी अवधि, फीस, संस्थान, दूसरे शहर में दाखिला और आने वाला खर्च। एप्टिट्यूड को समझना भी जरूरी है।
इंटिग्रेटेड कोर्स के फायदे
- दुनियाभर में इंटिग्रेटेड कोर्स का बढ़ता चलन। ऐसे में समय के साथ चलना जरूरी।
- स्नातकोत्तर कोर्स में दाखिला पाने के लिए बार-बार प्रवेश परीक्षा देने के तनाव से मुक्ति।
- यूजी और पीजी कोर्स अलग-अलग करने की अपेक्षा एक साल के समय की बचत, लेकिन यह न भूलें कि अधिकतर इंटिग्रेटेड एमए और एमएससी कोर्स में समयावधि बराबर ही रहती हैं।
- समय रहते करियर की दिशा का निर्धारण करना आसान
- इंटिग्रेटेड प्रणाली में अमूमन सेमेस्टर प्रणाली
- रिसर्च में रूचि रखने वाले सुवाओं के लिए अतिरिक्त अपयोगिता ।
ड्युअल डिग्री कोर्स और इंटिग्रेटेड कोर्स का अंतर
इन दोनों प्रकार के कोर्स में नहीं के बराबर ही अंतर है। इसलिए प्राय: लोग इनमें फर्क नहीं कर पाते। उदाहरण के लिए, 4 वर्षीय बीटेक के साथ 2 वर्षीय एमटेक कोर्स ड्यूअल डिग्री प्रोग्राम के अंतर्गत मात्र 5 वर्षों में कर पाना संभव है। इसमें 4 वर्ष के बाद बीटेक की डिग्री लेकर भी कोर्स छोड़ने का विकल्प है। दूसरी ओर इंटिग्रेटेड कोर्स में कोर्स छाड़ने का प्रावधान नहीं है। मास्टर्स डिग्री पूरी होने पर ही कोर्स समाप्त माना जाएगा। ड्युअल डिग्री कोर्स एक अथवा दो संस्थान मिलकर आयोजित कर सकते हैं और इनके द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्रियांं भी अलग-अलग हो सकती हैं। जैसे, एक संस्थान से ग्रेजुएशन तो दूसरे से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री।
इंटिग्रेटेड कोर्स की जरूरत क्यों
शिक्षाविदों की राय में परंपरागत कोर्स से शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही थी और छात्र अपने विषय तक ही सीमित होकर रह गए थे। इंटिग्रेटेड कोर्स ने विभिन्न अनुशासनों वाले विषयों की पढ़ाई के नए रास्ते खोले। आधुनिक समय में तकनीक और विज्ञान की उभरती शाखाओं/विधाओं के कारण समूचे उद्योग जगत में उपयुक्त और कुशल पेशेवरों की जरूरत है। निकट भविष्य में इस जरूरत में और बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है।
हमारे देश में शुरू में तकनीकी संस्थानों द्वारा इस तरह के कोर्स बड़े पैमाने पर लाए गए थे। इनमें इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थानों का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है, लेकिन गुणवक्ता का वांछित स्तर बनाए नहीं रखने और एआईसीटीई द्वारा सख्ती किए जाने के कारण इनमें से अधिकांश बंद हो गए। अब ऐसे इंटिग्रेटेड कोर्स आईआईएम या आईआईटी सरीखे संस्थानों के अतिरिक्त सेंट्रल यूनिवर्सिटी द्वारा ही संचालित किए जा रहे हैं। प्राय: इनमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है। छात्र-छात्राओं के बीच इस तरह के कोर्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। जॉब मार्केट में इनको स्वीकार किया जाता है।
किन विषयों में है इंटिग्रेटेड कोर्स
कला, वाणिज्य और विज्ञान विषयों की लगभग, प्रत्येक शाखा में इस तरह के कोर्स आज अस्तित्व में आ चुके हैं। इनमें परंपरागत कोर्स के अलावा तकनीकी और पेशेवर कोर्स भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। बीए, बीए(ऑनर्स), लॉ, मैनेजमेंट, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी सहित विविध कोर्स/विषय इनमें शामिल हैं। ये कोर्स सरकारी संस्थानों के अलावा प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भी संचालित किए जाते हैं। इन संस्थानों की वेबसाइट से अपनी दिलचस्पी का कोर्स चुना जा सकता है।
प्रमुख संस्थानों में कोर्स
नेशनल लॉ ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु: यहां ग्रेजुएशन के साथ लॉ की डिग्री के समन्वयन पर आधारित कई विषयों से जुड़े पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड कोर्स चलाए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख तौर पर बीए बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) (ऑनर्स), बीएससी-एलएलबी(ऑनर्स), बीकॉम एलएलबी(ऑनर्स), बीबीए-एलएलबी(ऑनर्स) का नाम लिया जा सकता है। देश के अन्य प्रदेशों में स्थित लॉ यूनिवर्सिटी में भी इस तरह के कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। इनमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला देने का प्रावधान है।
शिक्षाविदों की राय में परंपरागत कोर्स से शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही थी और छात्र अपने विषय तक ही सीमित होकर रह गए थे। इंटिग्रेटेड कोर्स ने विभिन्न अनुशासनों वाले विषयों की पढ़ाई के नए रास्ते खोले। आधुनिक समय में तकनीक और विज्ञान की उभरती शाखाओं/विधाओं के कारण समूचे उद्योग जगत में उपयुक्त और कुशल पेशेवरों की जरूरत है। निकट भविष्य में इस जरूरत में और बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है।
हमारे देश में शुरू में तकनीकी संस्थानों द्वारा इस तरह के कोर्स बड़े पैमाने पर लाए गए थे। इनमें इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थानों का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है, लेकिन गुणवक्ता का वांछित स्तर बनाए नहीं रखने और एआईसीटीई द्वारा सख्ती किए जाने के कारण इनमें से अधिकांश बंद हो गए। अब ऐसे इंटिग्रेटेड कोर्स आईआईएम या आईआईटी सरीखे संस्थानों के अतिरिक्त सेंट्रल यूनिवर्सिटी द्वारा ही संचालित किए जा रहे हैं। प्राय: इनमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है। छात्र-छात्राओं के बीच इस तरह के कोर्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। जॉब मार्केट में इनको स्वीकार किया जाता है।
किन विषयों में है इंटिग्रेटेड कोर्स
कला, वाणिज्य और विज्ञान विषयों की लगभग, प्रत्येक शाखा में इस तरह के कोर्स आज अस्तित्व में आ चुके हैं। इनमें परंपरागत कोर्स के अलावा तकनीकी और पेशेवर कोर्स भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। बीए, बीए(ऑनर्स), लॉ, मैनेजमेंट, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी सहित विविध कोर्स/विषय इनमें शामिल हैं। ये कोर्स सरकारी संस्थानों के अलावा प्राइवेट यूनिवर्सिटी में भी संचालित किए जाते हैं। इन संस्थानों की वेबसाइट से अपनी दिलचस्पी का कोर्स चुना जा सकता है।
प्रमुख संस्थानों में कोर्स
नेशनल लॉ ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु: यहां ग्रेजुएशन के साथ लॉ की डिग्री के समन्वयन पर आधारित कई विषयों से जुड़े पांच वर्षीय इंटिग्रेटेड कोर्स चलाए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख तौर पर बीए बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) (ऑनर्स), बीएससी-एलएलबी(ऑनर्स), बीकॉम एलएलबी(ऑनर्स), बीबीए-एलएलबी(ऑनर्स) का नाम लिया जा सकता है। देश के अन्य प्रदेशों में स्थित लॉ यूनिवर्सिटी में भी इस तरह के कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। इनमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला देने का प्रावधान है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी(आईआईएसएसटी):
एमएससी(एप्लाइड साइंस) पर आधारित यह 5 वर्षीय कोर्स 10+2 के बाद उपलब्ध है। इसके पाठ्यक्रम में स्पेस साइंस एवं संबंधित अन्य विषय शामिल हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) :
देशभर में स्थित आईआईटी की विभिन्न शाखाओं द्वारा एमएससी और एमए स्तर के इंटिग्रेटेड कोर्स संचालित किए जाते हैं। इसी के साथ ड्युअल डिग्री एमटेक कोर्स भी शुरू किया गया है, जिसमें बीटेक और एमटेक मात्र 5 वर्ष में पूरा कर पाना संभव है। अन्यथा इसमें 6 वर्ष का समय लगता है। आईआईटी, मद्रास द्वारा इंटिग्रेटेड एमए(एचएसएस) कोर्स संचालित किया जाता है, जिसमें मानविकी और समाजविज्ञान का समन्वय किया गया है।
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पिलानी:
देश में सबसे पहले इंटिग्रेटेड डिग्री प्रोग्राम की शुरुआत करने का श्रेय इस संस्थान को जाता है। वर्ष 1971 में यहां पर एमए और एमएससी के इंटिग्रेटेड कोर्स की शुरुआत की गई थी।
असम यूनिवर्सिटी: यहां विजुअल आर्ट्स, कंप्यूटर साइंस और सामाजिक कार्य जैसे विभिन्न विषयों से जुड़े इंटिग्रेटेड मास्टर्स डिग्री स्तर के कई कोर्स संचालित किए जाते हैं।
प्रमुख इंटिग्रेटेड कोर्स की सूची
एमएससी(एप्लाइड साइंस) पर आधारित यह 5 वर्षीय कोर्स 10+2 के बाद उपलब्ध है। इसके पाठ्यक्रम में स्पेस साइंस एवं संबंधित अन्य विषय शामिल हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) :
देशभर में स्थित आईआईटी की विभिन्न शाखाओं द्वारा एमएससी और एमए स्तर के इंटिग्रेटेड कोर्स संचालित किए जाते हैं। इसी के साथ ड्युअल डिग्री एमटेक कोर्स भी शुरू किया गया है, जिसमें बीटेक और एमटेक मात्र 5 वर्ष में पूरा कर पाना संभव है। अन्यथा इसमें 6 वर्ष का समय लगता है। आईआईटी, मद्रास द्वारा इंटिग्रेटेड एमए(एचएसएस) कोर्स संचालित किया जाता है, जिसमें मानविकी और समाजविज्ञान का समन्वय किया गया है।
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पिलानी:
देश में सबसे पहले इंटिग्रेटेड डिग्री प्रोग्राम की शुरुआत करने का श्रेय इस संस्थान को जाता है। वर्ष 1971 में यहां पर एमए और एमएससी के इंटिग्रेटेड कोर्स की शुरुआत की गई थी।
असम यूनिवर्सिटी: यहां विजुअल आर्ट्स, कंप्यूटर साइंस और सामाजिक कार्य जैसे विभिन्न विषयों से जुड़े इंटिग्रेटेड मास्टर्स डिग्री स्तर के कई कोर्स संचालित किए जाते हैं।
प्रमुख इंटिग्रेटेड कोर्स की सूची
- इंटिग्रेटेड एमएससी- बिरला इंस्टीट्ययूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मसरा
- बीएएसी-एमएससी इंटिग्रेटेड कोर्स-बेंगलोर युनिवर्सिटी, बेंगलुरु
- इंटिग्रेटेड एमएससी(एग्रीकल्चर,रूरल एंड ट्राइबल डेवलपमेंट)-रामकृष्ण मिशन विवेकानंद यूनिवर्सिटी, झारखंड
- बीएससी-एमएससी, बीए-एमए इंटिग्रेटेड कोर्सज-कश्मीर यूनिवर्सिटी, करगिल कैंपस-श्रीनगर
- इंटिग्रेटेड एमएससी कोर्स - काकनिया यूनिवर्सिटी, वारंगल।
- श्री माता वैष्णों देवी यूनिवर्सिटी, कटरा, जम्मू
- 5 वर्षीय एमएससी और 6 वर्षीय एमटेक(बायोटेक्नोलॉजी)- पुणे यूनिवर्सिटी, पुणे
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